
नागालैंड में कोहिमा की नदियों को प्लास्टिक, बोतलें और अब सेप्टिक टैंक अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण से राहत मिलने जा रही है। राज्य की विधानसभा की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन समिति ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है — अब किसी भी कॉलोनी या निवासी को नदियों में सेप्टिक कचरा बहाने की अनुमति नहीं होगी।
“गटर नहीं, जीवनदायिनी हैं हमारी नदियाँ”
कोहिमा में आयोजित परामर्श बैठक में समिति अध्यक्ष और विधायक अचुम्बेमो किकोन ने स्पष्ट कहा:
“अब से सेप्टिक टैंक कचरे का नालों और नदियों में निर्वहन पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।”
साथ ही सभी कॉलोनियों को निर्देशित किया गया कि वे सीवेज और सफाई वाहनों के लिए पर्याप्त पहुंच मार्ग और मोड़ स्थान निर्धारित करें ताकि गंदगी को नियमानुसार उठाया जा सके।
निष्क्रिय प्लांट्स होंगे फिर से एक्टिव
बैठक में यह भी तय हुआ कि:
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मेरीमा गांव में स्थित मल-जल उपचार संयंत्र और
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लेरी कॉलोनी का पुनर्चक्रण एवं पृथक्करण केंद्र
को पुनः सक्रिय किया जाएगा।
इन दोनों सुविधाओं में सरकार ने भारी निवेश किया था, लेकिन वर्तमान में वे निष्क्रिय पड़ी हैं।
डोयांग नदी तक जा रहा है कोहिमा का कचरा
किकोन ने चिंता जताते हुए कहा कि कोहिमा की लापरवाही का असर सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि वोखा जिले तक है।
“जब तक कोहिमा अपने कचरे को संभालेगा नहीं, तब तक वह दोयांग और अन्य नदियों को प्रदूषित करता रहेगा।”
उन्होंने नदी के निचले हिस्सों में प्लास्टिक और बोतलों की बाढ़ का ज़िक्र किया, जो राजधानी से बहकर अन्य शहरों को नुकसान पहुंचा रही है।
“कचरा नहीं, संसाधन है” – किकोन
जैव और गैर-जैव कचरे के स्पष्ट पृथक्करण पर बल देते हुए किकोन बोले:

“कोहिमा को उदाहरण बनना चाहिए। कचरे को धन में बदलिए, बस नागरिकों का साथ चाहिए।”
उन्होंने कहा कि जनता को जागरूक करना ही असली बदलाव की कुंजी है।
किसने लिया हिस्सा?
बैठक में शामिल रहे:
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कोहिमा नगर परिषद (KMC)
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कोहिमा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI)
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राजधानी के 19 वार्डों और कॉलोनियों के प्रतिनिधि
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और संबंधित विभागों के अधिकारी।
कोहिमा तैयार है सफाई की लड़ाई लड़ने
नागालैंड की राजधानी अब सिर्फ पहाड़ियों की खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि नदी संरक्षण और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी के लिए भी चर्चा में है। कोहिमा के इस उदाहरण से अन्य पहाड़ी शहरों को भी “स्वच्छता और सतर्कता का पाठ” सीखना चाहिए।
हर नाली का रास्ता नदी तक न जाए — ये अब नियम है, विकल्प नहीं।”
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